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श्रगारघर नाम मतानाथ रथ
नेहनाजूस श्राराधना पद्धति रणा से विव सामादिक ने होम्याक बार्बनविर गुना। जाविन्नलया।
पर न सम्यक मूल बा१६ नाशिका माकपा नसामा कुसमतापरिणाम पालिवाल माक्याना ॥ सर्व कब बदन के
कसेवक श्र
ऊसणा राणा श्रयमा मा गोरे सामा३ एम्म मात्र एस धम्मम एस सिरका एवद्विप- समोवास कन्याश्रमणोपासका माधनावरण इपामार्थन विश्वविद्याराज्ञाल गर्दनन अपदेशन निवारयता से महता मोग महालया मोटा लय मोटामा सिमोटा रावणदास्याविका क्विर। राव तथा गुणानास सरलगत विश्वरइंबई- मोटा मनुष्यतापरिषदासमुद॥
ए सभाणावासियावा विहरमा पाए औरा हप्तवति तातयां सामहृतिम हा विश्राम सय रिसा श्रमात पस्चा ज्ञानवंत कर्मा जुजाण दार ते न समाये व जे सकल चित्रादिकायान नघावे कायाएको दमा दि सोन राधान पावता बीजाबोल दियामा जारी कर ककनी समणस्त्र रागवन महावीरस्सतिएमामाचा निम्मा मनगवंतमहावास्त तीनवार
समाइनेहा॥२
द्वााव दिया उठाए
प्रदक्षिणा वेईन
खलिकर पंचांगकर एकेक गृह संबंधी यामुमि शाकरान यायादिक दशप्रकारखना
समयांत गवं महावीरं तिकुना श्रादा हिरा यदा हि कार तिरज्ञा वंदतियमंसतिर आरगतिया मुंडितवि गृह स्वावामना साथ पाउंगा करा क्लाएकेक गृहसंबंधी या प्रापातिया सात शिष्याजत सीप रूप व्यारेकारे गृहयरि तवेरमणादिकचा मुद्द
लाभार
गतियायं वावश्यं सत्र सिरका वश्यं प्रवालसविहं गिहिधम्मं प
सच्चा॥
नागा पगारिपचइ
*ता नगुमावत farmada