SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 988
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ झेबख एवं खयम् वयसेवि हिउ । श्म का बीज श्यामन्य विशेष सरीषाणी व्याक्य बलिया वालनहा यता बनावय एक म्टेशन सोमिल तीव॥ जाव. मात्रागमियका लिएदार, हवा परिणामानह मामिलाका सार या विचारकथा विसाकरणाद्वावतारकथा वसामि तवान कालि निविदा का पालनलाल नेकपदार्थ ऊचा ततिविदाएं नता कल कनया तिवा कलमा यातिया कलध्यातिर्वातांसमा निधानाव•●वमान नविण्· जस्प नरकयातन्त्र कला एवं धन्नसरिमावास अनारक इशतल त्रिल याशियोग लवडावसवंग्राल वडिलवे यावल दिन कालमा हिच म्हो वोमा मिलापागवि। श्रनावा श्रागत यावल विदिश्रदोसा करण द्वणोत एवं तावनविपशिदांसा मिलांदव नाइयापदेस या विपदमध्या पाग केहाएदव उप्र 699 विविध पदा यता वल विए दिदीसात हजादल विपविश्रासा मिलमा दाणा मंबाह समएँ। नगमदान हा खेदः ज्ञायामाये शेवदह जहा दिवा पिया त्र्यं तियंब दावश्मर) जहा रायण्णामाशचित्रों जावडवालमा विमा वगधम्मप डिवति पश्समाण लग वैमवंदति aaja de कवि खूज व ईत्यादिपद त्रयेण नित्यानि चव योग• उपयो श्रीमान "नागत वत्र मान का जनाचनेकना वना जाणपणा घ की त्रिकाल
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy