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________________ SELE 4 गोतमन्ती प्रत सुरु क॥ चामामा जायज वा सति। गाय मादी मनगमदा वीर लगायोगा मातञ्च विश्वेवासा मांगायमा तिन विदा मिश्राियमाम मंदावते वा। सीममणा निषाभ्रमचा ऊपनो० नृपयंदा गरणदाग रत जहां मांगाथ मातियन्त्र शिवा सामागामात अन्ननिपपात लगवांगाय मंसम गवयामहावात समाएद . श्रहसमल गर्ववदविनिश्पदेव उभ्रमचे पलामासपरमाणु पालं किंजा ए तिया सति प्रदान जाएगा। अ गतिपापविनया सति श्रनुमति पनजा पतितपासतमाशात मास याद सियखधं किंजागति२एवंदेवाडावा मोखपादमियंभ्रमावलीत मणामणे तपादमियेध किश्बा गा| श्रागगतिए डॉग तपास विद्यात्र गति पाए तिनपा सतिया तिएनजी पतियाँ सति श्रनुशतिपन जाए तिनयासति आदा दिष्णं सात मामा परमाणुडहा मादादिप विज्ञाव आणत पाद सिये प रमादादिणनात मशसंपश्माप्पा लेंडम म्यू) | जा तिन पासति. एक जा एलान मानली जाए। परादषश्नही अतिशय ज्ञान नावातू एका पत्रादि कपास विशद विश१ ॥ एक स्पचादि कई जाए । आदिश्नादष ॥२॥ ए कम्पशादिकन जाए। इ) प्रतिदे (३)) एक स्पर्शादिक 59नज) (75) श्रार्ष 290 नादष २४ ॥ एवं च जंगी जालिनी॥
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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