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________________ जास् धाकृष्टवादवान्पष्टपाद वा पदा । धन्य ऊषा ऋदिवस्पातून सुमादयत्पर्वत्र घन्पोऋ पदापक्ष यापदवर्धनानत यातिषाञ्च नियत परिमाणाचा तू जावेनी येति ॥ जितला बाद रात काय नाजीवाना | तितलाउक्रष्टचा नेरायाचार्य वली "मक दशाजत ऋण प्रायुषान दान तिया सिद्धांतदाक्षणमतिका तिया इची उगलात किंकडऊंमा | जहपपादक डऊ लास्त दमजी बात मागकामणदकड जमा दमशक्कामाद सियकडामा | जाव सियक लियागा ॥ पापाना परमारिaaaaण कमी एवं तिखिकाजामधरणहारा न जाग्वाणमंत राजातिसियांवमापियादव भोजावतिया गालांतरा अंधगव क्षिणा जीवांत धरणहार सरीबाई तयापराव जीवा | दंता | गा जावतियावरा श्रेभगवदितादति॥ जबशा चरा० च या परायेगवक्षिणा जीवामदलो १०२४|| दाल र कुमाराएं मिश्र (परा० उत्कृष्टा सुश्कुमारांश संमिश्र खरऊमादवताdaa शमा। श्रखरऊमा रादायासादी का परिमाण विडिरुपागमऊ मारादादासानायामादर्शनादरिसते का चात्र दमन मे , कम्मदिया घव अतिकाना पडिला । [सक दामयेलातप दोगाथमा । अमारा दिवाविद यत्रेचंधकवये सरीराय। श्रवः द्वियसरीराय। तवासाः द्वियसरी असुर कमारादावामाणे पासा दीपंडाव जीवाः॥ अपा परुिवे । तावेव वियसरी सुरऊमा रादवासना या सादी पंजावानापडिकाव से सः नमोवक्रयः "विजवियत्रारी रि० विनुषितवारी || तदाश्रयचेन \\
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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