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________________ योग बंध जीवन प्रयोग बघात योग बंध ॥ वीस साबध० स्वनावबंध॥ गंदियताऽगिदपत्रातं पाया गया। वी समाधियावी समाक्षिणे लोक विशिदा मा गंदियाशित सादीयवाससाबधियादायवाससा बधिया पायागबांधलातक तिशिद पlal मागंदिय खन्ना शिदापती सिटिल बंधाया। पियबंधाण बांधया सावधा लातकतिशिदा मार्ग दिय खन्नाऽशिद पति मूलपग डिबोधयन्तरं पगडिबाधया भरतिय कतिशिला । पांमागे दिय ताऽविदे| पति मूलगा डिबोधय उत्तरपण डिबांधय । एवंजाशरमा गियानापाव शम्म सात कम्मरम कतिविर्देन विबेोधामागविलाबाला एग डिउत्तरपगडि | नेरतिया एसा पाणाव रणिकम्प्रकम्मस्तक तिशिदनावामागं दिया शिदना वो तो मूल पग दिवधे यांवर पगडि । एवंजावावमा पिया नागावर शिऊगंज हा दंड/एवंावतराइप लागि याद्या । जीवा पालातपात काम जय काजा वाजयक हिम्मति । श्रचिया इतस्ताकतिराए निर्दता शिसाकरण हलवा पावकमा जयकाडंजा वाजय कस्मितिय जीवन राजपापकर्म करा कर 51 की जिस्पशन इन काई नानाविधपरे | देता। ि 12+1221
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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