________________
युकचरमस्य जावितात्माज्ञानादिनिः वासितात्मकवली व इस ग्राह्यः तस्यः ॥ सर्वमावाग्राहिक पंचायुषा जिदिना निधी जवं मार गांतिकं न्यमान चालू वोदयाताऽनुजवनः प्रादाविपाकानुवासयेक मंत्र निजरमा एम. सर्व कनवोपया हिरुप कम्म नावापयाहि मेवनिश्यितः त्रात्मप्रादात्रा ज्पः शातयतः घासावस वयुः मला पक्ष मार मरणेति ममत्यर्था मियमा स्पगतः लगतान मुहममं दिखाकर खामंत समागमं दिया
त्रयरूपादयत
कि
सर्वे समस्त्रंवा मोदारिका दिवि गावात विसरम गराशा
प्रजदतः
चरमं कम्म मित्या दि० चरमं क
का पक्षी मोर हमर
एवं निरतः ॥ महादशा aanaa2समलगम दावा वेदेति। २२३३दा ताकि दाद माणसामधे कम विकारमा साममा मरम सांस वे सरीर विपक्षमा ॥ त्रायुदालि माशिमं कम्म विदमास्वरिमकं मं नि रमाए सावरिमार मरमाण स्मदरिभमरारंपियुषश्वरम समय के 12 ितियेकं मं विकारमा शास्त्रमा शांतियमा द्यावद यत ॥ एवेन .माणस्माऊच रिमा निकर पागला सुमा मंचरमायः 9ऊल गंपिणांत गादिना विनंति ॥ देतामागं दिय
कुर्वतः। एवंशरा जमाएरममाशां तियक्रम विदमास्त्रम रंन्यन्नः सर्वातिमा निर्जरा कला निजी रंभश्मा एस्मा र तिसरीरं विद पूर्ण कम्र्मदनिका निसगोता अलपत्रता समणा अमासाला |
जर यनगान घाव
दमास्त्र 9 फलाः प्रज्ञ
क्याप क्षमा र मा त्रियमाणस्प नारीरं यश्चरमावस्
गबतः। तथाचर
प्रानगवद्भिः दिश्रम त्रा आणणारम्मा दिया आदि। प्राचिद्वितिमानातमास्त्रात सिंभिद्ध एयु त्रितिनगवन गाणला कि दिया गया। नाथापन दाई दियाहरु पढमजावादमाणिया जावत ताणां तिया सति यदारतमा भिरकावला गियाचा कतिविदेणं लं लावबोधयादवबोधनात कति विदे।।मा हा ४२३ मार " नावबंध • चागमा दिन दान द्विधा सा वह तो आग मनोया । व्यबंध जास्त्र हतवार प्रमुखतब्धतियं कम्म मित्यादि वालय तथा बंध गई माहिमा हो माहि मिलितबंध तथा व्यबंध • चागममा हिनेदान्यनेक मरणस्य सवयुव वृधनाविधः किवलद्रव्यजयव्यतिरिक्रियाला जावबंध • मिध्याचादि कई करी जावनगज बंधात जावबंध ॥
कम विनिऽवग्राहल
यामविनयाजन एनादव स्फुटतरम
वाचनात मार्गदिय प्रताप विदेवाशपतिदिन
क्षयलक्षस्था
फलनउव