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गणिपिडगंगली नाटकपटक नावाची स्पपटक सर्वस्व नाजन शव गाणि पिट | पुनः दयतिष कृषायतिचाख्याययति सामान्य वित्राषयरूपताचा सामान्यतया प्रतिकाबदनेन उदास यत्रि सब दास २० तायप्रतिपक्ष दिक्रियावज्ञानिन निदास० कथंचिकाताऽनुकंपया निश्चायमाः शुनः लनयायुकि निरी यंत्रणांस शिपा सिताप दिखादों समा लगवंम् दावी रगंमदांधार रुदितवता लपिसायेंस शिरा नियं। पांजावप डिड्डाहो त समलगया महावरणमा हाजि काममूलन घालिए महावीर गंमदंस किलजावप डिबाइ संगम माल गवं महावीरा सुक्कशा विगविदरतिड़िग समाणलगवं महावीर पगेमदेवित्र aaa जावप डिवाद। तेसमा नगरं भदावा शिक्षित सममय पर समर्थ प्रवालसं गंगलि पिडगं धावति। पत्रावति पावदा सतिभिदेसे विवेवदास तिनं आयार। सय डेजा वदिदिवायें समा लगभ दावारगम दाम सहरम
शिण मित्रापडि बढे। समापन गरेमा दावीरं शिशपाती आगारधम्म चर्वमा सो वाणमार४मांशा समाणलग वे मदावी रगंम दासयोगा व ज्ञापडि वाहते सम काश्विज्ञानागमहावीर स्थानमा शरण। समस्य साघाती समरणासमणी व सावयांसा दिया जं दिगुणः क्लम दावा रंग गेम है प उ म मरे जावप दिखा । ते समाजावर दादावपत्र
चावहिदावपनावन्त्रि• प्रज्ञापयतिप्रतिबोधयति ११
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दामगं० मा ला