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६परयम्मांतराय थानाय • जिचारित्रायुविनाला नियामक एक क्षणमात्र रहीन सक॥१॥ प्राता दिदिजह वारा इतिहवार प्रांतिया हार लिशा
मेरा शालोमा रायगिदिजावण्यंवदा (साजावतियाणं लावला तपसणे निग्रोधकं मं निझारति। एवतियक में नरपतिरतियावास एवाशास किंवा वासस० दिवा रखवा ति। एग तिरए ईसमादाय यिंग नसमाए तिम्रोघ के में निकार ति। एवतिये कंमना रण्डानरतियांवास सातवा | वा समय दिया | वा समदामा हिंवा वश्यंति। तदसमाह । वतियांलाबद्दल त्रिपसमा निद्यांघ कम विज्ञारति। एवतिये के मंतर खांन रतिया. वाममदास्मणंदा | वाससदास्त दिवा चास। सयम दास वा खवयेति॥एणा तिराह समादा जातियानात अहमत नसमाएन। ओठक में भिकारत एव तिथे के मंतर एखान, रतियावाससयस दास्तए राममयमदास्प्रहिं वावासा काडी पथाववयेति नातिलाईसमाह। जावतियंगलात दसमलति यसमा निअं [घ के मै निकारिति । एवतिये के मैनर एडान रतियां वा साकाडी
यथावा साकाडी दिवावासा काडाकाडापखवयं तनोति हम मामाकरण इलापता भगवतिथं अनइला तपसमण निनोघ के मं निरतएव तियं के मनश्प सुनेर तियां धामणवा वास दिवा