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________________ मन ह जफलाज हन मजावतावादल नवना निगननादन। शतक रूप कचरा साधितावाहिय। यह वजन व संयम होति रागि गारागस पलीतांद गोनो संग कुम्मतवा निः॥१॥ सबै दवलोकि बाघ मासावास एवंवदासी सेनामा एयफू लेतावावादा फलतसभाणावा साधारलगदा पवेवदासी जति सात से जामयणय फालतावावादाण फाल किपत्रि तू किं प्रत्यय क्रांति। तच का लियाना माघार मरणावास एण्वेवदासी aai दिल ना माघातसमावामधेशीलाई पखववतितक्षणं आणंदर कियाणा मे शिकारशियात याच्या दिवा दिवाला गवत जलजंत पोह पपवेवदासि।संगिया श्राद्धा दिवा दिवाली उत्पधः ताव धामणकमि यापसे गिया। आज दिवा (दिवाला पसु ववज्ञा प्राणतिसावा सचाहानाचायला वचनचयापतत समाणावासया ।धार दिलगयात दिन करण्यावा वा गराईयाग शिया समादा (घारलग वैवेदति न मंसं तिशय सिणा है। इति । श्रावादियं तपाई तिस्ता घर लगवात तिरकुतो वंदतिनमंसं तिरितघरा यम० इरिणपरि नाविनधी नस्व पहवनयजाणि किंमत वदा सिजा दिवा दिवले घातसभाणा वास पंप वंवदा सिकेमि वितव्यता०या तशांकामावनामाधार रातसमाणावासा मायनाव० चात्माना जाणिव कमी यार- कोई मीत्राषशन शिवि शष संगाया • मनुष्पादिक ॥संगिवत्र गया
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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