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________________ जब विजय स्स. याचे हिशेति विशेयस्वस्रा दिक्क एवं एतस्पायपि वाच्यत्ययः॥ तीपगादावतिणी तदवखाद जावदा एसी गारंपडिला नि ममावा एनिबाद जदा विजयसाजामजी वियफालार वताए। गादावतिणीयांरवती।तपणंसी दो गारवतीगादावति पनि गिदाउपडिनि रकम ति। पशम दियग्रामे नगरं मझे मानणं नि ग्रवति। निश्हा गाथमसामीज्ञानत्राणं पडिदासतिश्मिमणस्य नगद मदावार स्पाणिसितंम सेमेनिस्तरति तपस बिलिश्वरप्रेश्व माण नगरं महावीर छपजावा नगनाशादव ने बिलमिव पन्नगनूपप एतमादारं सरीशका द्वे सिप सि कति सम्णस्मलगव महावीरस्ता तमादारंमादारियरम समाणस्सासवि तिनेत सिहासनगा रानात आहारा छालारागाथा कखिष्णा मदवसांत दादा। श्ररागबलिय सरीरेच द्वाराम एगा डावस काम के प्रतिपासावयास विद्यादवादी सादरमा साराला पाहा ह े० दाष्टानि यधिः द्विजाए । समाणलगवंम दावी रहाहलात तिलगंगा यामसमणे नगरं महावीरंवंदतिन एवं चारोग) लि.निषा चदामि । एवंखला दवा शिया तथा सीपा दी जाए व साततीनामंणगार पगति हाष्टो विस्मितः कस्मात् एवं इन्यादसमरैणे ईत्यादि ॥ नारोगा जातिः ॥ डोबवा
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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