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वडल शरीर व्यापकीकात कर जमादिल गार सूखनधी रुहियास
कर केवल • सहवास क सही। परंरोगा सालाना
लोहियनञ्चा०म लंबसनालाहीज बस एन्यत
मधास्त
55: खनकार |
अनिच्चयो आइत
दिनादिनिः
मदावी
नस्पसमा अन्य
मानसिक तन
मंदिया मनमा राज वसा का इतिजा परिमाप डिगया। तपणे समणस्त्र लगवा जनमत सवारम्ममरीरंग सिं विद्याला गँगायो कृपा झगडले जाव'र्डर दिया रस पित्रकारपरिगयम शारदाद लोक • ब्राह्मणादिक मन विनवतीयाई विहरति । शैला दियवच्चापकार तिचा वांदा गारति । एवंखल समालविया पति मालम्प्रमेखलितस्तावणं तायण अन्नाशहसम्म। श्रता प्रेमासा व्याक्याने कार सिन्नर रिगयस गारतं सरिदादा ॥ ती मानव काले कारम्प्रति । श्रातार• एक स्पध्या कालेगा तरसमाम्गवमहावी? स्वामी सहना मेचणगारपग स्थानारंभ इति एषां तिराजादिमा लयाक व ग माणिकत्रेएं। 2 देव ।। दाजावविहरति । तपगतस्ासीदाणगार स्मशाणांत रिया एव हमाम्मायामयारुाव समुचि। एवंखलुममधम्मायरिया शम्मा वाद सगस्तसम्म लगव] महावीरस्मसर) रंग संविधालागगाथाकपा कालाव कालंकारस्यातिविदितं तियानि तामाका लगए। शमण्या कावा मदर लामा सिए डारक। अलित
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