SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 874
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ कलसिंग• ध्यान्यवात्रावृक्षिस किन सूधपा गए. दिवह फरसति | उ मसवाडानु] स ध उसे धार कर । तिहनशब्दली रात्रि बादवता ॥ देवतावासातला करी शरीर न इस्प किरनजे • जादवता सीतल वारुडकर सिशजांकल संग लिवा मुग संग लिये वा मास संग लिया सिंबलिंसंग लिया। तक मिश्रामि तदेवे सातत येसगं सिवल विवाणया नियं पिवति । सते सिवलिया सतिंखागखशज) चाले बाघकरी गा बम्माम सुखा मेवा शिदामा संखुद विधारागण) [दामा सकारादामासदत्ररिसाव संघाराम बडिगाढमासा मिराशा शमादा दिशामु दिद्दियांज्ञाश्मदेनुमोदन सरकाचं तिर्येणाऽझवंतित छन्नलादय माणि नाददवासीयल दिल्लादि माहि प्रमाण दे दिंगाया इंपॅरासेतिदावस विज्ञति॥ सविस्तार सीमा तणावादावाना साविज्ञति तम्मनंसि । मगर मिश्रगणिकाएसंतति ॥ सस।कोम गाणं सरीरगंशा [मतिसिता तापवा सि॥ भिजावतकार सत्राणांस मोद नगरीयेशला मंग्राजी विश्वासपरिवति श्राह जहादाला दलाना आजा दियसम सरीर विषश्यमिक याला माणविदश तायण तस्माजी विधवा सग स्न्नदाकदा विश्व यात्रापशत त्रावरतकालसमयं सिकुटुंब जाग रियंडा गरमाए स्मायामया सावत्र्शचिए समुझिचा किंसं भिया जिरे शरीरबाल इति विसप्लान नही हिना वारपसा
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy