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________________ नवरं चचारित्रात वियधिगावागावात रहावदनाथस्त्र बधुवाधाव पावच्यात वा वदनीय वजनइति तत्र पशात मोहादयः सज्ञान बंधक एवाघा संबंध का तिति ॥ वयसि बंध कोनो बंध (केवलिया दारातू सर्वेपि संज्ञियवेिनियास्ते च वेदना व स्पबंध का एवा नबंधकाः मोहनी कापशात मोहा yarsagara बीत्यादिप्राग्वत्/नव पगड सज्ञानांच्चापि वेदका विगत संसारख था माय असावा या साउथ पता अपना दामास वेिदक अनुक्रमे नक अविसि दांडावर मागत परिमाणश्रवा रांगा दरणार्थ हा मम निपदिय दाविवेदगान 2] दारणा करणेन जिवनाएं गावागairaण प्रबंधगा नागमोहन मोहादयः गाव दगा मिस गां सत्र विविदगा नादगा | सोयावदगावा असा तावदगावा/ मा संज्ञियायिस्ते क्रमागतानांइति दाऊदईया अणुदई वा समास विग्दयी नादयी नाम स्मगाथस्मथ दी नोवेदकाः के बलि नाम गोयरगना अप मसाविवदीर गाalyana कस लोम्वा जाखा नक्त विद् गोदामसम्म दिदीदा मिदिया। समा (मवदिडीवा पाणीवा| अम्माणीचा मणाजगीवा" का न जागा कायमादा स्मासगा आदारगाया। ऊदाए गिं दिया विश्या। जवनउदयसुनु नामगोत्रो क विप्रिय व्यापारातीत वेनन यांचं प्रिया यासर्वेपि दारकाः वा अविश्याया विश्याविश्यायासकिरिया ना कि शिथा। [त सात जीवा किसान विदबंध गावात सावद यथा सेन मंदीर का विगाथा बदिबंध गावा। पग विदबंग सतगावा जावदिबंधगाथा तसा वेद ॥ ता मोहना यस्य यिनः उपशांत मो हादय दायिनः डायँ उदार रणविधिः 19 मतोताः सामन्येन गावलिका घुस नद संपरा यांता । वेद वाकयादा रसानादावपरिग्रह मान्नाना उन्नागासान्नादत्ताथा। गो एवं स्वरूपञ्चातू प्रायुर्व सानो उदारका ग्रप्रमत्रोदयस्तु च चारा वेिदनीयायुर्वजन तथा सातमा। आभार समाजुला खापयारे मोहशिम उदई आवेदन। श्रायुवज व कमी नाम में परा या प्रावलिका या स्वत्रयायाः बोषा या मोहनीयानपि । प ऋणुदयन्त्र शांतमहात वाकषायाः स्व वा यात्रालिका यो त्रीया गात्रय -पयोगि स योगिनी पिए B 25a7
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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