SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 849
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Meaया दर्श यमाहा नवरं दिवाल उ तिइत्यादिप्र परमसम्मानसमयाय वा एकड़ियान उत्पन्नानाद्यादयसमयावि/ युषः प्रथम, यशवत्। एतेचया सामान्येन एक प्रिया स्तुवा जति तिन सोनहाप र मोसो इत्यादि ३\\ चरम ० चरम समय कडजुम्मकडजुम्म एगिंदि यत्रिः इहचरमसम यत्रा ट्रेन के प्रियाणां मरणसमय विवचितः सर्वेयर नवा यवतंत्र चवर्तमान : स (एकमaan दिवमभिश्वासमोसालसखविंग माया समाया दिल्ला दान्निसामाद नाद कें प्रियेताना बोत्पादन व तखानामिना (मत स्वायावरून युग पदम समर्थकड जंम कृतयुग्मायए के दिनांक 33 ॐ तपास अदा पमाद्दामा सालस दिविज्ञा नादांना जावक लिएर्वजदेव = नितिनोले पाए याक लिया नामांतर aayaa रिम समय कदम करगं दिया। उमसमयउ देम aaja aaryaara तद्विद्धति (सम यशकं प्रियो ह प्रियाता त्रियधाप्रयमस एक रुतयुग्म ए के दिया मग दिया नाक व तिजदा कःत घावरम मे यावा/ सनातशरप/एटम समय कड मागं +परम+ दियाला कातात हा ममता निश्वास सर्वतताaaaa पि या नवयुग्ममश्र पदम समर्थक डमकडम गिं दिया लोकाता १२वद्येति ऊदापदमसमास दशकापेक्षा याव समास दिवाणाचा सर्वात परिमसमयकद जंभक २ ग गिंदिया एं शांत व तो नाना वा निका तादव विश्वास मला मंत्र चार समय कम गिदिया लेते "एव समान स्वरूप प्रिय उत्पाद स्पयुग्मवान्नु हतेषी एके त्रिधम समय कृते युग्म कृतयुग्मा के प्रियाः। प्रघमघम समयः कृत चानू प्रथम समय व समयायागा तू ये युग्मयुग्म कि दिया मित्रघम समय कृत युग्मक्ततयुग्मयाः । कंडिया च उत्यादधम समया नायः स समय वत्रियेषां विवचि यानुप्रातः प्रथमसमवत्रिचेागू जव संबंधि सत्य नि सयं एयं शस्त्रापिनी au म प 133 सम विप्रधमचरमस समयम इति॥५॥ रिम समय त्या तादा मनात रमममय । दि० न विद्यते वरम्। श्रपदमसमय अहासातादव निश्वास से लागि। समय उक्त लक्षणो
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy