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खंदक नगमे दादा वेदनिमंसतिश दासी एवं खखावा (पियाश्रांतवासी वेदना मंच जान दे गगार कालमाास कालं किच्छा कि हिंगणा के दिग्वासा गायमादिसमापन गवं महावीरता रोगास लागायमा । ममंत्र्यांतवासी वेदना मंत्राणणारयम तिलहण्जाव वो मम मम मम मायायारुदेवात्तदेव सर्वश्रवसेोमियोनय घोडावालातियप डिकात समा दिप निकालमा सव किया। काणादव) ardhaanaaja श्याएं द वाचावी संसामारावमाविती पंत्रता)! खेदयम (विदेaana संसारा वमा वितपन्नता सिलातरखंदा दाता कर्म ५. धानसादे दिवाला लवरकपणां विती र गत स्वये व शिन्ना क दिंग भिदिति क नगर नि निर्जर विवदिति गाथमा महा विशदादवासंसि शिक्षिति। बुझिदितिमुचेति । परिनिद्यादिति सबक घातक दियशएन डरका अंतं कार द्विति । वेदद्य सम्मान्त्रा । अवितियस्थ सम्पदामा || कतिंलात्ममुग्धाथा विनिखणा आउ नादिरनन्ता||सनसम्मुग्धाया । पोतामनियममुग्ध्यवावयासमुग्धा । एवेस मुग्धाथ कर्मणः स्थितःशव ।। कालांत जिवायोग्पति उदार इंसा कम उद्यावर प्रक्षेप लोग नान निर्जर। ग्राम प्रादशसाहन से श्लिष्ट पुऊन अंतरं लावगला कर 211911 +गा) सनस समुध्याया । में तो वि द स मुग्धाय। एवं समुग्धाय पंदे+"
लहान दिव
नायादिकर्म प्रादेश
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वसंबधिनं रारंचऽतिव्यव