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________________ कानक अध्या या वा दिना राजीवपतिमा विजयकवादिति। विश्वपरिणा वि कायिका नोट खसालदेश्य नील को पातीताना (लेपः प्रपाक्षिक जति जी बापजी है न जावचारे या एमित्यादि० न प्रियादीनां - ਧੁ ਪਤਰਸ दियेयुक्रं ते क्या ह। समा युधिनिक परणय द लगती थी जहा मालसा कमायी जहा आलम्मामा व काय जागा जहा मालाम्मा चाागी जहा मलावनसमा क दियंत्रित आलम्मा सागारावन्ना । चाणगा रावना | अदासालमा निशतियाांसात किं किरिया दादा उगा कि चाचा स्त्रिनरियावादी शिज्ञादावतिवाद मिलेस्मानात नेरतिया किं कि रियावादीप वाचव एवंडाच काल तूस्वनाचातू प्रातिपरिया किरिया विवक्रिया। एकमे जादवाचीवावनया सावानरतिया से हि वा त्माहिदि ह। किरिया इत्यादि | जानवर चिंतनाणि यहमिमं न तंत्रनिनिदान रतिया एवं जावा मुझे गाइ दो ना मिस्सा पियक्रमास विकादियाला किंकिरि यावादी (नो किरियावादी कि। मौसम इस मवा रियावादी शिनाथवादी शिनावरण तिथवादी Inage विकाaियाएं वियदविनयवादि डागाराaaa पिडाच्नरिदियाएं महद्यााण सुपयाचेयमशिनर समाज मायुः प्रकर्व मिलूँगा शैदा मामा मरणा इसम वना दिया गचेश्म झिलगा इंदासामा समाई॥ शिवियतिरिक्त मादन का तिन ये मनुष्याः पाणियाऊ दाजी वानवा गियो । म समाऊ दाजी वातादव निश्वासमं वा एमंतराज्ञातिसिया नवरंचि युःकातीरमाणियाजदा किरिया वा दीयांतात वा किनेर तिया उपकारं तिति रिकाडा लिया था. 4 यूर्व करिति । दे बाउ ये हिवी क्रिया बादाम शिल्लाइं मक्रि या वादिनः स्पाती वा न बि तिरो वा ते दे। ति ० पांवडिय तिर मालपा कषाथि दिव्यमसे पापकरिनिशि। 1911 नवतित *ति कुठादि सर्वत्र मध्यम समवसरण ६
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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