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________________ रापण करतान शिविस माणात क नाराज परिवार नत्र करण हा रणनी हिएय० जावजीव हात विधि र मानता न्य बनायताका काकटी बात माने काटी रात घन्कचः षटेरियमर काटीशतमानंशन न विरोधः ॥ पाउ - ६स मात्रेः ॥ सामातिय• वारित्र विशषततन वा वय तूः। सामायिक संयत करनश्वार aaaa / लागा माखद्यगुणा। मिणाता माखद्य गुण असा सारखद्यगुणा । एडिसिशा निराक रति चार इताह असी लामाद्यगुण कसाय कसा लामाद्यगुण सर्वज्ञातास वनात विज्ञानविदर तिर सातमहात ॥ ॥ कतिलोतमं दया मना गापंच संजया । पति सामातिय बादावद्वावणियारोप चावक काक तक जाता परियारविख दिय मसंपरा गजहिरका यस ऊप |सामा इथं साग लेते मध्यनातीकरब कतिविदा/विद पतितरियो श्र anaaaaa मा गाभिद महाविद नालिसा तियारियां गिरतिया त्या परिहा रविन दिया गाडि शिपि तोगदिवसात व माहिममा पकाइयो सुमसे परा गागादिति किलिममाया रा चवनमा दरका याद्या गs विशद alag hard कदलीय / मामाश्यमिक रतिचारे निरतिचा राजपत्राद्यामं तमतिविदेश फासाता सामातियतां मखा परागपाशापयशात निर वडोदाधम मिशनामादायद्वा वाणांसख उपविशति विपना मंत्र का तिफा साता परिद्वारियमं ज्ञाता संखखलाला पृथिदाता ज्ञाखल असा मनवा ना ६ समान तक ही यत्र वसा विचार रानि • पत्रांत मोहनी मुल गुणध साजिनो वाव यक एकत्र विदा पनी या दो । चनुचरं धर्म श्रमधर्वः त्रिवि नमन त्रिविध रोपणात सातिवार तासय घारख्यान संग फास याता निस्पृत्रातू पालयताविज्ञानतत्रषः। सामायिक संयतः खड निश्चित इत्यर्धन या वगाव या या वतू कधिक सामायिक से ताजे वरखलुइति सामा यतवर सामायिक संयते स्वा• गदन पादन ३ पाप वादानंतयागात् सामाय कनोज त्यमि गाड़ा। साम ब्राह्म" कायन अनया व गाव यासा तिवारे तरश्व द्वितीय संयतः परहारिति गाहा। परिहरतिनिविशेमान का दान दाता सदाच dan தயிர் विश्वधामानात
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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