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________________ पवयलमाया ता० अष्टप्रमापालनरुपची वारिस छाता प्रवचनमानृपरिज्ञाननाचाव्य ज्ञान प्रवक वाभ्वा रिचस्प तत्परिज्ञानच तादाता प्रक्वनमा प्रतिपादन परं तंब स्पजघन्याता तवतीति ॥२॥ गमिवत्वं नाएलाचा उलागणं नोत कर तिर्थस्यादिद्यद्योग हा नवम 1. स. लिंग हो द्या. इस्मत तिये श्रायावाका सच्चा ति शिव सागा जहा पयामा लिंगाई वा प्रव्या यातका सदसधा दिद्येद्या। एवं सिवाणा ऊसाला विकमायऊसी लेड छ।गाउदा वादातून ताव मायाका सण वाधम उधा इंच हिद्यद्या एवं मियाव विभिणात ॥ गाख्य नस्वलिंगेश्वज्ञा वतिशितादाद्याला एनात किंचिदा॥ द्याशादागतदा द्यायविनादिनावस्पग्र एवं वाद्या। एवं सशिप डिलवाणा अमी विकासले गतिचेादा ॥ छा। अतिविवादाद्या। अदितिशवादाद्या किं तयारीही छात्रबादादा द्या। [गाथमा तिन स्वलिंगा परलिंग गारवा दिया। पात्रय वा दवा दाया। पणियां शिवं सिलाए शिलाएलात किस लिंगादाद्या गरजोहरणादि । परलिंगवद्विधा या लिंगा दाद्यागिदिल्लिंग दाद्यागा दवलिंग हुन्छ । सलिंगवा हा द्या। ग्राम लिंगवा हा द्या क नी विकलिंग मिहिलिंगवा (दाद्या/ नाव लिंग पडुचापि यमंम लिग दाद्याव मिला कमरखोदाद्या।।।गा। तिसुभरा लियात या कम्म पदाद्यास सांगत तानाएवजावातू मतदानू । तत्र स्वलि G
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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