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रागासलेख लिखत वदामि। गामाला सेनामपता सियांग मेल दिपश्शमा प उपनसिकचयगडवा। दरिंदा । ऽयंगा। (लिम्मेवा (पचयेवा। मिमेस्मादमा गमलामा वामण वा । कृष्ण सरावात रूप एव अन्ताएं ओवरत्राणं शिक्षामा लात हा मकर राश्यिमिति मनशापवाण पापमिति श्रष्णमन्नतिश्रणुलाकलुक्क मणिमन्नति पलाय एपलाय मि विश्रामन्नतपवाद मे गिगा मालाच नेसायनमिति अण एंव पलल सितं माँएवागा सालाना शिव सिग्गामाला साचा:एवयंप्रती लिखात (समासगव्या महाग दिसूमंतिगचुपाषा समलगमदावी वाया दिया उणादिश्रासति द्यावया दार्शयति इत्यर्थः गासाला त्रदिदमा दिद्दाम 21 उच्चावयादिनिशङ्खगादिनिशान 32 च्चावया दिनाडा दिन अलकत्रा पात २ देवदा मिनाहासिक दाइ गाह सिकदा इंसाहसिकथा इन हि शिणाईलाहसिकदायि नाहार ना होजाए अनवसिनादि। तेममा दिति सुदनांकाल समस्लग व महावीरस्म तवाप
- वतसाठयाना सगा सालख
दिव्याकुलं
जताहरी प्रति दास ने त्रिसमा
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5: कुलीनत्यादिकरूनि सहित माह रस्सा प्रायोजन इत्यादिकं नि बाउ ए. र उनी बाहिर उग माडिई इत्यादिकवचनकइत्यादिनिः वचनिः चावाय तिलादित्र मान यातनाः क्वानेः सकलादित्र निमा नातू तुझधः पतय55 9रुषक्वानेः निश्रातिन्निष्टं निवास मान्य नसा-इतिनि तकोगसिसिसि संपदा की ला
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गालय हि. जिमूचारगामिकागमनहिरुक्षाय आत परा नवीन बीह नागदरी इत्यादि पाएनन शरामिज न करी आपल एवं ढाक मनमा हिम जाइका शा३ । पति की नहीं सादषनि साहि
गडुंग व अदरि प्रतिश्व गाबा दिकत
विषे गम्पन दि) नियंति। नित्रं कसरः प्रवृति
बागा सालानू लसंतगासा