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________________ तराज वति व्य ति। वैष्य व एतानूस एक्ष मात्र मंत्र प्रारीरांतर प्रवेशात शत वसत्र में संज्ञि निरंतरंकाम क्र माँ गंगादीनां गंगा दिमनाका क लावाशयाः मंत्रमपत्र • समंशरीरात प्रावधाकारा मजिवि जिचे पिचातिनिय कालविशिष गंगामः मर्गः चिरा सी ला महाकल्प क्षय करी कल्प लोक प्रतिनिवानुमाहाराट्र मत्तं दिधे• सशदिव्यान् मायामादिवावान् सत्र से हि निकाय विशिषमंत्रिगात्र• मष्प गर्भवति मतिनामा क्षमा यिनी सशास स्वादातू गंगा यायाम मन मरी गगविणंदा मिशगासा लम्म मेखलिनाभर विति स ट स अणुण विमा मगर इस त म परिहारंपरिदरा म। ॐधिया या आमाका सवा समर्थ सिकि यिसि प्रिंसुवा। मितं तिवा सिशिस्त्रां ति । साहात उरासी तिमदा कर्णसयमद दीना इत्यर्थः "स्मात शिवरात्र से जाद agrejia ससदमा कम कम बिया दिवस दस्ताव तित्रियकमास ऋण शाइखवावासिशति शेति व्यकम्र्मला त्यह परिभिचाईति सहरका कार वाकार तिवा करिस्प्रेतिया। सैजन्दावा सिजे हावा. कल्प गंगामहानदी पत्रा | दिवा जव ॥ या साया मया इंआयाम दो विकले मयागादेगां एतेषां गंगामा सतगंगा उसाणा महा गंगासमा गंगागंमागासादी मंगा सहसा दा गंगा उसाएगा मैडगेगा। सत्रमगंगासा एगला दियगंगा मताला दियगंगा । साएगा यावतीगंगा सत्रावतीगंगा सायगा परमावती एवामवस द्यावाप गंगेगासस स्प्रेसवरस यस दस्ता गुणपत्रेगंगा सयाल वेता तिमरक ॥ जुवि सहवावार• सह प्रावीण गंगा दिवस प्रवधिरांतन पूर्वायस्तया त्यर्थः ॥ अक्तनएव क्रमेण मामा "" जग्डुढा • जिहा कीगगानी कली दोघी जहिंवा• य जगवा समानान यायावहिस्सा वी एस.एम
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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