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पञ्चरामदास सिलि
गण्फाच निष्फलमवतय सत्र तिला दूताः एंगिल संगलिया एसत्र तिला पवाया था। तां दागा मांगा सालात दाम में वे श्रा तिरकमा प्रजाव पकाव माणसा एयम होना सद्ददति ॥ नापतिय सिना रायसि। एयमास द्ददमा ए| ग्रणति । यमाश्रराएमा ममंप लिदा पायेग (मिहावादन] त्रिक। ममं तिया उस ॥ पियंसश्वासकति पशजाणवासति लघनता वनाश्वगंत मानपाड सिता रकणाम तांगा माला दिवे श्रवद्दल पा पण दिवासवदलपखिष्णमवतार ॥ जावतस्तावद तिल लगस्संगगाप दिलसंग लि यासत्र तिलापद्या या तितिंपसणं सालास तिलधं न निष्पन्नानाञ्च निष्फन्नामात यसत्र तिलछ फजी वाद्याश्वाश्पयम्स वदतिल लगाएगा एतिलसँग लिया। एसत्र तिला पञ्चाथाता। एवंखखगे साला शासतिका तिया पर हैपरिहारंपरिहरति । तात मागास लिमख लिखानममपदमा तिरक
32 रिहार • विलासी नईति वनस्पती नाशरी रन परिहार परिनो गएतावता तिहाईजऊ पाएपपरिहा 1911
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