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________________ पञ्चरामदास सिलि गण्फाच निष्फलमवतय सत्र तिला दूताः एंगिल संगलिया एसत्र तिला पवाया था। तां दागा मांगा सालात दाम में वे श्रा तिरकमा प्रजाव पकाव माणसा एयम होना सद्ददति ॥ नापतिय सिना रायसि। एयमास द्ददमा ए| ग्रणति । यमाश्रराएमा ममंप लिदा पायेग (मिहावादन] त्रिक। ममं तिया उस ॥ पियंसश्वासकति पशजाणवासति लघनता वनाश्वगंत मानपाड सिता रकणाम तांगा माला दिवे श्रवद्दल पा पण दिवासवदलपखिष्णमवतार ॥ जावतस्तावद तिल लगस्संगगाप दिलसंग लि यासत्र तिलापद्या या तितिंपसणं सालास तिलधं न निष्पन्नानाञ्च निष्फन्नामात यसत्र तिलछ फजी वाद्याश्वाश्पयम्स वदतिल लगाएगा एतिलसँग लिया। एसत्र तिला पञ्चाथाता। एवंखखगे साला शासतिका तिया पर हैपरिहारंपरिहरति । तात मागास लिमख लिखानममपदमा तिरक 32 रिहार • विलासी नईति वनस्पती नाशरी रन परिहार परिनो गएतावता तिहाईजऊ पाएपपरिहा 1911 र कही लगवतीस्त्र निष्वेव वा थाइ मत पनि वतिल लगाएगा बलिप देवदामि atide How ३६६
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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