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________________ उन्माची उन्मेष दिन अघाडिव ॥ तानि मे मिलकर शाशाचा. इसा निंनिषदकानं वा तिसवा० वा य्या वसति ॥ निसी ही यं• अल्पतर काजि का लिकांस तिवेराजा • कर ॥ २॥ केवलीणं जति मरणं० पत्र प्रवीन रानित ॥ शिक्का श्रकामात जावा गार जय कदलीपलाय मासवा निमिासका दं ताव मिसवा निमिासक था। एवं देव । एवं चाहना पसा बरहवा एवं गांवा में जोवा निस्सी दिये। वाचा (कवलीपालति श्रयापश्ट विश्या लद विज्ञातिपास विदंता जागतियास अदालत कवली इमेरा पसंद विश्य पापलददितिज्ञातिया सतितदाणां सिहवि। भरपलं.प्रद वि दवा विज्ञा एशिया सतिदेता जाए विपासति । कवलीगां तसक रणसं विद्या विद्या सतिपि ala (श्रादसत्रमा किवलीला से दम्मम कृष्णासादमकरण शिक्षाण तियास ॥ विदिताजा पतिपासतिपयांचा एवं मा पवा जावयाकवली सातगाव विमा गे। विज्ञविभाग ताण तपासalvaraain तर विमा शिकवलीणां नातई मिशा दिई सिप्ला खदावी तिज्ञापतिपास ति वाकवली पतिपरमाप्रापाडाले परमाणुापाअल तिडागातिपास विशेषवाचव एवं ऽपाद सियं पंजाव ऊदाएं लोकवलीत पादमियखचणं तपाद सियराध विज्ञातिपास तितिद्वाणं सिदिविश्रणं तपाद।।
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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