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तणकाल
तनाजा वचन श्रदधीनतारमा देवतात्यवासयामतिः।
नगद
बाधा ऊपजाव
दियज्ञात विमति सलाह सala का हित बावाला नेरान कालेएम स्म परिवाथग स्म। मन्त्रयतवासी मया गिनका लममयं सिएवं सिदा उवाति ही बाधी पाजावादारगाना अन्नमन्नम पवमा तिरक विधि एवं खलुंमाड परिवाद्यप के लोकांनिकातामा पिल्लरन ऊदाउदवातिए मडवनद्ययावत का दिति॥ हिला जाणिवा । सार स्यमा द्या। शनिवातंत्र्यव वायवा देताय साकलापद्यतिश्रवावादा दियाश्रवा: वादादा गामगारिमस्स पगाम सांप मिदिवाद विहिंदि दिवि दिवादवाणुनादिश्त्रीसतिदिन वि
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नाटक सूक्ष्मादणा देववदासनम्मरिमम्यकिं वित्र्यावादेवावादवाप्याग) शिवयेवाक उशा गाय हमें मंत्र दामका माता वा वा हारपत्र लामावादविदिदिवराया दि षाड शासि स.सि पुरिससी संगुण गिरा।। अमिणा विंदिता कमंडलुं भिपरिकशित। दंता सकदमिदाणि मन कडक कारगिदिया श्वपरिकावता लिंदिया सिंदिया चाप रिकावज्ञाका हियाका हिया व
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करीन शाकमुडल तक तदा नाकारा तिता निंदियादियान तिबार प्राचिनात मी डादिक विश्व खंड)। विषश्धान॥ चत्पर्थवाचा विकल्प प्राक्षापतक मेला विदिया। विदार्या रुपाटाने न सा यदिवाक्तः सिरसः 35 खला दितिला विकमि नचुणियिचा। बोलाविला पत्र का दिना गंध 5 व्या । दिकमिवाता बत्ति । कमंडल प्रक्षिपणानंतर दिकमिव । ॐ दियति। करयिता कमंडलात पणे मित्यर्थः ॥
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