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________________ परिवत घादि काय तत्र वत्र माननथमा स्काय प्रादात्रीन स्पृष्टः षड निः यश्वापि तत्रवमानन धम्म स्विकाय प्रादाशन स्पृष्टनिः धम्मस्त्रिका यत्रादात्रोः स्पृष्टोवतिशति | एक जीवास्तिकाय प्राद कोशाद शादिक विषकवली यात जलानन्यान्यवाजिबे बिंड कामपादत्राविंदम्म त्रिकायणदाम हिंशिक तिपहियागो सर्विकाय दिकवतिपदिंडी ब ऊपास विचाग कायदाम दिवाह मियाह । सिथतो उडेंज तिवाह नियमात दिपवायायल विकायपदे प्रादशति पर मा सर्दिविश्रद्वाममाय हिंभिभगलांतजीविकायादास कवतिय दिवम्मद दिशाब कामदमत्र दिएवं श्रदम्म विकायादासहिं कतिपदिश्रागतहिंकेत तिजीक्षा लिए हनी सिहाधम्मृद्धिकायसंग नातपायल विकाप दासकति धिम्मकिपा (एवंजादवजीवविकायम्म। [दालतीपाजल विकाथादसा कतिपदिधम्म निकाय द्वादसी उस्क दासहि। उदपपादन शिक्कामपादवार || दिपवेमत्रिकायपादास दिवक त्रध्वापरमाणु दिग्रागास विकाय वारसादिमसनदा धम्मश्विकाय समतिविनातयाञ्चल विकार्थपादावति॥ श्राबाद सनी दिधम्मदिम (दाहिं का सपदेशवर सहि एवं दम्म विकायपाद से दिके व तिपहिया गामचिम नरम हिंसे संऊदा कायस्त एवं ग्रामसलिया| जावदस नवरंदमपादानिंपरिक दिया बोकास पववत्रा शिपान निकाय जदमपादोदस दिनशक्का वादी साएं एंचा ऊदवार सदिश का सत्ता। पना B ४ ५ ६ १२ 3 ४ ६ 9 93 29 बावीस प्रादसत नास्काय नाफर सर यात परमाणु जाणिवा, 2 १०२१४१६ १७ २० २२ ज. २२ २७ ३२/३३/३४२ ४१ ५२/३.
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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