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________________ उपस्तावाना गुणा कमायायात गुण जागा या या शिसमा दिया। रियाया शमसा दिया आया तीन ना हो पनज्ञानात निश्चाया गदविदंसणा याचे तिनिदिधल्ला शिमसा दिया। आयातमा पास. आात्मानोऽभ्य यच्चान्मा । यधार्धरेव ज्ञानं इतिप्रश्नः नार नावातू वाया जातरयाप र का नाम गायमा । या या सियना एसियन्ना। नियमंत्र्या या आयातीत । नेरतियाएं) कोणी श्रायायात्मास नापन्न (नरतियानाएगा। आयान रतिया सियना। एसियामा (ए) पूर्णा रूपेज्ञानं अत्यन्यन्न ना० त ति सतत संनियमं गया। एवंावधमिरा आयात प्रदविकाश्यानातिरिक्तप तानतानपर्या विकाइया यान तिच्यात्मातत बनाएगा। आया दविका दिया। नियमं श्रनाश्रित्राएं यमाश्रयासि यामास पात्र विनियमं श्राया एवं जाववस्त्र तिका तिया बंदिय ॥ तं दिया जा विभागिय एंड आत्मा का विज्ञान व निदानिरतियाएं तसा नसणे या नियमं दम एसारण विनियम जवार सम्म सास प्रावि आया आया नाततिरतियाएं देना चान्नानरतिया पदसा (गा। आयांतर तियानिय व कुशन वार में सत्या कदाचित मासासाग शिसनिय में आया। एवंजारोवमा शियाणां निरंतरं दंड। श्रायानांतरण कुमारानी अन्नाश्याला व रोटवा सियाया सियाना आया। सियत कना पर्याय नपा कदाचित किम कोई कही नस कियात किमाउनय बिक्रनायेाईकक हान सकिय। परवा आत्मा कदाचित्। नाना कदाचित मनावि mmalx१४ दा विज्ञान।तिस्प दिक ज्ञान विज्ञाषा श कदाचिनाचा माते केमा शर्कर प्रनादि शनिवार त्यादिज्ञान सा श्रात्मान्त्रज्ञ
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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