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________________ ॥ स्वनावत • स्वभाव। उलन पावर परिणाम यो परि निम्बालकनतरुरुन गढ पहनी परिश्न व्ययनधी। किं उतव्यं वस्त्रावि सच्चा ससे डी० स का लोका जादवी या वयं विभव सिद्धियत्र नाती वाले किसारिणा माय'जयंतीस सावधानापरिणाममा दिपलातसव सिद्दियोजीवा सिशिस्तति । देता जयती। माद्य विनयमिद्दिजयंती = याजी वा सिशिम्प्रति। ऊनातसाइल मिडियाजी व मिशिम्नति । तदा तव सिद्दियंदिर दिए। लापत विस्मता हिममाद्यामाकरणं खातियां लाते देख ति साद्य विनय सिद्दि यांडीवा सिशिमं तिनिचियामेन सिद्दीय विरदिपलाएन विस्सति जयंती सजदानाम्ए कानी मोगा सासदी सियाणा दी या अव परिक्षा० एक प्रात्रिमात्र दिखाड दिममायश्च वही रमाश दमा रिता परिखडा सा घरमा पाल शांता दिवसा उस णिदिश्रवदीरेता का परिव डा. पोरनda श्रव दिया सिया। सात हजथे। तापसदांना विस्ततिलोत साऊस माझी जागरिया मा जयंती वागतिया गांजा तसा वागतिया गंडी वाजागरि) यत्रेमा शामाकरण सातपचति श्रवण तिया एंडावा सा है। जयंती ऊशमजीवा दोमया। ane अभियाना स्त्रिरूपधर्मरहित श्रमाया। श्रदं मिता। हम्मरका ग्रहमा पाला श्रहमप विभाजन हम्मरकाशधर्मनारक्या दम समुदायादाम्म लहार ॥ हम पलोई थमाईज उपा ॥ माया धर्मात विपरीत दययलिशद मपत्नना धर्माजन विषमिदायाराम समुदाय चारच्या चार जह निकडश्चा TU
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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