________________
श्रेष्ट मोट हत्तरव्यवहा
रक स्पर
चा हा कर्म
धुन जाव मनम
[ग]. [ समंजसावा 19 दिन ति हिनद तति । एवंप्रामापतिशिष्पा चघ कानदंत इति त्रागुरु इति क्रुने anadia [लक्षामा कहामा ॥ कसाला अशाच श्वासापरघरपावासा लद्दावली उच्चावया गामक यम्म• दरि टावावामंपरी साहावसन दिया सितमहं यारा हिश्शच शिमदिनमा समसामहिं सस्य कि मिक्क । परिनि । मी एति । सगवांगायामसमलगमहावीरंवंदति राज नमतिदासी। सांता महिस्मये तैप्रयम्य किंवा सायवतियस्मयं समाचa पञ्चरका किरिया कदंता॥गाथमा ॥सडियम का बरका एकिरियाका सम्बन साकोलीतगात्र विरतिंडु सातपादांगाथमा पतन क मयत प्रजाव श्रद्धा कम्मणं जम 1णे समाए निदाघ किंबंध किंकार किया चिण। किंविचिष्णाई।गा। ऑदा कम्मांड जमाउथवासनकम्माडीसि दिलमायाकार। जावा परियह। (साकरण ह। जावत्रपणा! रियहोगा। आदा कम ऊमाया धम्मं श्रद्दम। श्रयामं कममा । चाधी कमी कर उवि कायेणा व कवशजावतम का योगा वकख ॥ ऊर्मिपियागंजीवा सरी राइमादारमा दारे 5 32 धति. अत्र गतिबंधाविन्य किंवकरतिस
रिशतना
ma 5. न नुकंप इत्यर्थः ॥
चि•
ति