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________________ लोपक्रमायुक्वच्चातू. कुरामा • एतिदुःखादय एक गभासद शानिला ॥ ३॥ रुतिमर) विरतो धाइ। िकार िविरतन पुरुषकाता वाघीन वनिताश्रित्य देस अनु क्रमशमा पामशन वारे ति संसारियाऽ नेताजी सि० षिव । न किमणि कार गिते । ५४॥ सिंहराम जीव घातक नावधवा रुचि घाजीवप्रतिबाधतिप्रति धता • क्रदिपाच ि नायघातक घाइ । इण कारणिक दिहत्पातजावन घातजाणिव चोराना काही न जानू तो माय नस्पम् वृत्या पुरुष त षिविरएव वति मादिवियोगात अनचा गती पथार शिक्षामा एक शिमाकरण हालात तितरं पिता, रिः इतिएकपर्वः संपवतारवितारूपात पर्वव। एवं पा ततसंपादणा मिस्पतिविराताननवि वात् इति प्रागून तिरंत पाणंदगी विदाई।सातणाद्वप गायमा । तं देवमादिकिग मारि ष्पतितपकाषः बाध उक्तं न वाश्वादिमात सिंहगामा किंश सिंह तिनोऽसिंह पति॥गा। सिंपिणं ॥नामिविणा छतः प्रधमविकल्प स झागातिमा एवं एवंखलादपणं चरम शरीर तावदति। सततिएकद वानूननसंनवस्त्र पादाना रिमोदारणा। (ग) नियमता या घोषा कजंग कु रिसावारणाय। श्रहवा रमादानो दवा चिल्ललग (वारयथ विल्ललावारहिं शारानिरुपमा यु स्प निरुपमायुक काय की कार या जाव प्राधिको गुडु शिमलांत शिसंदमा किन रिसावरे ल्याइतिकाः विभागों छ। अदवा छ रिसावार था। कवि कारिभावारदियाच्या सवंजाव चिह्नलगंजावं जावा नए वैय यद्यपिचरमवारी विकास यादव शिमगंलाई सिगमा ए किंड सिवारां। प्राटतो श सिवार पांडाणा नियमं शर्शसावार सापानी सिवान दिया। खंड विकाइया) नातप्रढ विकायला पण मशिवा पाणमं शिवा किसा तिवारइक प्रस्वताव] सजामिवो 11 नाव- पहिल पुरिसाव रे. निम निश्चिइएका नविरेकरमा धरुष एक नोड रिस• एक कसा सल्पीतिम रही ज्यादा रिसावारलय. एक पुरुषन (फरमानो रिसावारहिया मायुकादिका ॥ मघातीय स्पय मुन राज स्पे 240 विरमा त्रिि धमनगक संत वति सत्य कि उय स्पषः "शी काय स्वभाव ऊसा व्यक्तव्यतामा ह कहा जाता इसिपिण पुढ विकाईया जात इमिणा मिनिय गं सिंहा माणं
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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