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"ग्राहि मा • विरुयहसाहत करत याए मादक पंडित करत
नगवती सूत्र ग्रादमालाएमा श्वासासामपपरिया गया तो पार अहमा सिया एसालक्ष पत्रावास त सपा पाचादतितीसंश्शस्त्र द्वाणस्तं लाइथाप डिका कालमा मकाल किया। लेत एकातिर ससागाराथमद्विति०सुदेव किविसिप दावा सादव कि विभियत्राएं वास्म । तातपलिंग वेगो याममा लिचणगारे का लगतेका ति ऊ समागमाची तपaana fadnavaागविता/समालगवंमदा वारंवंदति । मंसति । वैश्पवंवदा मिrva खलु दवा पिया एंश्रतवासी कुसि माली मंगा रोमांसात जमा॥ लगाकालमा संकाले किच्चा कि गातोक दि० वने। गातमादीस मा नगरमहा वातलगांगा यम देवदासी देख लगात माम्म तथा सीऊ सिस्टम ऊमा लीगा मगरोस तदा ममं श्रा स्मण्यम
सह(३यम अमहदमाशदाचे पिममं श्रुतियाॐ श्र कमति॥दाश्रुदित्रा मशाखाणादिवाचवनाशादव कि द्वि सियाना ॥ वास । कतिविद्धानोतदव किञ्चिमियायप
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