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दूर साधरणत्या कामात एवमणि पावशातयामाशाह एग इत्यादि बिसयाला माहिं० शादियां वयन विषय कलाका
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वणवण. सामान्य घा वानववकरीब
ख्यात वायवं सघला
धनवचनकरी पदाशिवा तत्पशिनाग निषे
विषयाणां प्रतिकुला
अजगण्गावपचइदिमिपवंखख मया दिशापयखवास यंडा वैसा थप ॐ अग्रिमा दिएदोर मादिपरा यमा दिपमडुमा दिए। दाइयमा दिए। अग्निमा मासा जादाश्य सामाण अावश्रमिति निसाम वा पढावा श्रवम्म विप्पड दिय बेंत विस्मशामाकुमा इतावादत्रित स्त्रिया लिवात्रतिय एतंद्रमा लिखत्तिय कुमारं श्रमयाजा दिनो मंचापतिविया लामा दिंदशदिश्राघवादिय काचनप्रतिलोमा प्रतिपादि विपवम्प दिसन दिय घावा। सनाया। विपाशा दिखावाम कवियप किला (दिसंजम सावक रादिपवणादिपपादमा गाए देवदासी एवं वाचल किवालदायावस्मपंडाव सरकारे नी प
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धारा एक विभाग खनुजाया) निघावयासावार'
5. एक क्रिया लक्षण
काकबलनी
लस अदीवरागंत ही खारा श्वपगंतारा। पालादमया जवाचावयवा विशगंगावा महानदी सारंगम्याप महासमादाचच्या दिनारा तिरकेव येलाव " परि निरास्वादन यश मिरगंश्येच रियां। तो यखख कष्ण विजायासमणाएं नियंघाणंादा कामपतिवाह सि पहा गाना माइया शायति प्रतिवा की पापा मिच्छेदया। श्रहा श्वाणिमाहवा दीमा हिजिम मश्रोत्रश्चानती तव वचतकखगादिकमितव्य। यमादिवमादिक को एवन को क्व अनुपालयता गुरु दाहिल्या तिमश्रव लंबि• गुरु महाशिला दिकेलाय ॥ राडीच्या दिशे बाहस्रादि कपाडिव प्रवचन हवः करई॥ चसिधारा • | यस्मिनू जातात मलाय तथा नद सिधार केवनं नियम श्ररितो यास वित मंयादतत्प्रनाउ बालनंतननत कर प्रत्यर्थः ॥१.
नखर
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