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कवालसाव जशकवला
वकवि
मावन कीमिया पात्रासमण असा एवं सनासवाकर तो लगला पियद्या । नवरंदी वासal
अनमकवान (जायामया इंआयाम विरकाल पवकाशापाय हासए कि शिविमसारण ए शिरक कालगाए मदरश्या या साडस समेत संप शिरकाव दाद काम एवं हा जीवा लिंग मजाव इदं तदा वैजावादवालाग परि द्वावास वितरदावा सप्ताश्यायाम विरकं सावविपहावा संगसगासवेलात दामि। श्रामाद्याशी नाताकव लिम्मद निषाद कब बनाम hajaraima लिगवा लिया कर्म प्रान
चाणकवली नी उप
सोचा. वाफिला दिन
कहिती नाराय गादावप
सांभल्पनि
बलिया कथलिसागस्तथावि लिसा दिया पव
हिया
नुरागादिाचत्य
नन्याक्षिक. स्वयंडपात रिकयम्सवात कियाaara स्किथमाविया एवातप्परिकयवा स मातकिया सिएना कि लिए धमलालका साया पायामाचाणं (कवलि स्वाजावतण कियन वा मिया पर्वाचे गति कवलियननंधमालाला वाव गतिकवलियन माना लालद्यासायासा (पवंखच साचाएं).
क्रतचारित्ररुपल निद्यप्राशयातू
नया श्रवल रूपतया इत्यर्थः ॥