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________________ कथं ज्ञानावरणीयं जावनोज्ञानावरण Wald विना गलिबेदा जिबना विनागन घाहवाज पलिबद नाग त्रिवि नागपालछेद जाणिवा निरं श्राइत्यधः॥ निगममा अमाखकाला या गामपाद सापतता । एगमग स्त्रोतांत जीवनकथतियांजा गव शिवष्टितति वपादसा।।।गा। जावतियाला यागा संपादसा। एगा मग सजीव सापवतिया जीवपादसा पोका ति वा सायलीकम्मणगडी गाड कम्म पगडीत नाणावर डावांत राश्ययं। नेश तिया एल कितिकमणगडीमा एसबीवाएं श्रीवायचा । जाभावमा लिया ज्ञानाचे नादरण कस्माणलात कम्मस्त कवति यात्र विता गप लिदा या माता श्रवि नतत् । प्रदेश लागेपलिद्विदा। पनिर तिया गंगा गादणि कम कुम्मस्माक वितियाय दिलाग पलि ज्ञानावरणविदा॥ग आता विज्ञाग लिदा पवे सजीवा जावावमा पिया आदेश न पावता विलाप लिखिदा । वंदनाणावर इमविलागलिदानयितदा जाग पालीहादेः नाजावातू कम्म्ण्णगडीला गिया।। जावावमा पिया अंतरा तियागामगा एंगलात जाव स्म गगामागडी दावणिजा कम्मा कतिपदि विलागण लाबाद दिआव दियमशिवहिए सिया। ग।। मियश्राव दियप शिव दिए सियोना आ।व दियाप शिव दिए। जव दियं शिव दिपा नियमाच diwal the Mus said dstu दिय गाती ॥१॥
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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