SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साववादिसहजासघात्मप्रादकरादिशाहिर शललाव ला नाल ३५० ज कतला एक कर। जिम तानावड5 33 को शीतलह कोई एक एनानंतर समय हर साल वासनं • सर्वदा सर्वत्रादरलेल्य | एउत्पति सभ्य नाहारजि महिला 35 कि एक बार सर्व तिल इश्यू का महा जावजा वि (दस आदरशना दाम आदार साब वो दादा । सविस बंद रज्ञपवंडा वावमा लिए। २नेर पलातानर तिदिता चट्टमा ए कि दाम न वहावमा एताद दहमा [ए] विदंडागाला गिया।। शनेर इयां लाता नेरऽ दिता उच्च हम किंदास। दस चा दारिशतादव वणवादिश्राहारास वाम आहार | एवं ज्ञावावमा लिथाधानर पलातानर शन्न कांदास ॥ संघवामपामा विवादव जावसाबण सबंध विवास्प |हाश्ववकमा एउच्चमा देस २ वारिदंडगाव शह दि दत्ता (रिदंडगाना पियवा | साबणांस उववाप सादाद्वार इस सर्व ग्राह लिलावामनुवा विनियां ॥नश्शेणालीत नरईप मारण किंचा ६७ वव। श्रद्वांस वसाबद। साहाणं सघं ३ का महापढ दे मिल्लां ब्रहदंडगात दाहण विश्रडगाना पियवाणवरोऊदिदासदसंJयवशतदि श्राह । प्रववश इतिला पिय । एवंणाएते । एवंसावशिसालस दंडगाना पियवा जीवणं अध वा " किं. सर्व हो दंड का क किं
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy