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________________ पयोग बंधेय० योग जीवव्यापारक्त तबंध: प्रयोग बंध वीसा रकस्यातूष्टा खायोजनशत मास् विमानस्यापरिजाजन नव योजनं सदास्तु गधाला कग्रा मानवं ति यावत् उद्यान नान ॥१॥ क्ष यात्र वास ये सचचुः स्पशक्षिप दतियांग्वतिरितवतिमा गाँजाय। सयहं तवं तिहार माजा था। मया इंचात तिसी याजी मांजाय मदस्मा शैदान्निय तवाह जायगा सपंपकवा डेला डायास्पतिरियता देति श्रांता तातमा पुखतरस्म वयस्माजचं दियंस तारारूवात पाणलातदे वा किंवा दावा गाऊदाजी वालिग मतानि श्वाससं जावन कास पठम्मा साब दिया आ माणुखतरम्पऊ दाजीबा लिगामा जाव इदद्वा कवतियंकाले दिरदिवा गाथमा इदं पक्के समर्थकाम। ॥ शिदा धाता पाया गया। म्मामा [मवात कति विदेलं यत्रीमसाबाधया वीससाबाधणं ज्ञातका ति बंधः॥ धम्म • धम्मस्त्रका यस्त्रयामन लादिविषयसंबधः दिदिपती मादीयदी साध्या अणादीर्थवी ससाध्य आणादी यवीस सार्व विश्वसाः रचनाकति विदे विदे पातीधर्म विकाय 〔 दीवासमाबमविका गावकाम हथवा ससा बोध धम्म विकाय न्योन्यप्राण अन्नमद्यपादीयवाससानात किंदिसामा गादिसाधनासम्म चिकी नां परस्पर योना जात सवधि • माहिा माहि एक प्रादवानऊ बंधन इति ि दिवा बंधा सर्व बंधनधी बंध्शनानन प्रतिबंधनं विव दिकवि सबंध हिनस्त्रिग्धता दिनका गुणः सम्प्रत्ययो दिन यंत्र सता दिसबंध यथा से कलिका क टिका नो॥ सङ्घति सर्वतः सर्वात्मि था! बीस सा सर्वो
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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