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________________ बथः कषाय हराएजति आराधकश्वक मक्षिपयति । श्रुतवानत्वातिशतिबं रुपयतू आहारयावा एकावद नीयनुबंध संपराश्यबंध वीतरागगुट रबर श्यागमनंतप्रधान शोमार्ग या पृधः तत्र नर्वयमिक क वाया श्रन्यये कमति स्पायाब धः सताः सपरा इति संसारपय टिति पनि: संप राया कषायाः तान परायिकं कर्म तस्मायो यत्प बंधक द्याय एवं पदे संवेद ती या दिसमयव षधा सातमध्य एक पान एवं सापवकास किंमा जलातश्रागमबलियो समरणा तिचे वाऽश्वेतेपेच विश्ववदार या न दिशदा वेत्रका ३ २६२ (स्मितावस्मितेसम्म दारमा एसमा निराहलय तक तिशिद पुत्रासयपत्रिक गाशिद बांध नाता तोई रियाय दिया बाधयमंपरा तियवाधय । इरियाव दिया।गलं कि या वही बंधननितिक (कान रतिया बेधति । तिरिस्काजापि बंधति तिरिरकोजा बिंधतम (स्ताबंति तानतू बंधक बिं नानतिया बंधनातिरिकाजाता धिः ते नौशीनो रिमो मम्मीधति ॥ दावा बंध ति॥दवीबंध तिगो नोन गोवे बंधताना तिरिराजा बिंधताना दावा बेधति । नदवीबंधाच्चप डिवाप सदा बहवः क्रमापमण (मावा बंध तिमिस्त्रीवा। नायकाकबलिनी बंधति मण स्त्रावाद तिमि स्मवाद वामामायस्ता यबंधति श्रवामपुत्रो वा नावातू यमस्मय बंध तितिज्ञात किंवा बंधतिछशिमा बंधनां सांगावंशतिपति रिमोद च प्रतिवद्यमान प्रतिनिसर्गवेधानाना शिसाना नपुंस ।ग्राबंध तिगान बंध नाड शिमा बंध।। बंधन प्रथम समय तिजवानान मागधति उपडियन पडुछ। अवगयावदाधति । पडिवडमा + वाम एणु साय मणुस्त्रीय बंधति ॥७॥ यह वामस्सा यम एस्सीय बंधति ॥ ८॥३ दरियाव ही बांध पहुचा मस्सा यमस्त्र भयबंधति डिवा 5111-1 मालप नूपर्याविधिककम डुवान वगयावदा बंधति • वदरहित
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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