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निरयगतिया० इन्होधकी मनुष्य तिचिप विप्रिय व व्यानरक ऊपनि स्पशत विचाल बाट जाता निरयग नियाजा शिबा\६ ॥ ति त्रिना इं० वाधव प्रत्ययाचन न रागातोपि नावातू
नागवती दिमागी सुना गया जन्मागणीत नियमांडनाए। तमतिश्रमाणसश्रन्नाए। unanaaraara दिया aिiप विदियति रिकोज या गाना अन्नाप शिंजना तंगतियां ना। श्राह्मगतियातिना।।। एवं तिनिनापितिविना लिया पामस्साज दाजी वातावरनाएगा इंतिनिय नाप पियलय गाए। वाणमंतराजानश तिया। [जातिसियावमा लिया। तिनिनाणा इति नियन्त्राणा इंनियमा। सिया लाख गाणा)(नान्नाणी नियमाय गमा maamaाणी | निरयर्ग तियाशांना जीवा किन्नाएगी। अन्ना नाशि नाण) विशतिविना इंनियमातिनिद्य तिरियगतिया。स नाणा ईशया ॥ तिरियम दिया ज्ञात जीवा किं नाना दानाएगा। दाना नि यमा। मम्मगतियालातडी वा किनान्नातिविना गाया अन्नापानिय जूतियंचगतिजामा दातियां जहा तिश्यग दिया। सिक्ष्म तियानातजदा सिद्धा सदिया तातडीचा किंना तिवारऽ अंतराला नावारिमाणाइति विना पाईला
म्यगूडी बधिज्ञान की जप यात हन
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मनुष्यगतो हिगन• कि चितू ज्ञानिनोऽवधिनासह एवं गति। ती कर व तू कि विश्वविमुच्यविज्ञानषांत्रीणिवा घवाज्ञाने । पुनः ज्ञानिनामनुष्पकामात नियतिन एवं विजोगन साहो त्यतिः स्यातू तिन दाना इंनियमं निक
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