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________________ वासवद्यापतरको दावादतिया दवसात जीवालातील विण्य किंवा नोग० जा खरकमा र १२३ पिछछ।गा। इदगात सियमहा बारा मिश्रणावदाश्ववऊमाण मि यमहावासियाणा वाण आवशति बागेत सातविदगोवादेति । यद माया पावकुिमार जीवनजल विपद विकाश संभवति प्रा ॥ गारग एसियमा वाण (सयप्यावद। mujara मा एशिश्रादः श्वशमलव तितिपादिमायाविवादति एव जावमामवाणमेतराजा तिमियात्मा त ऊ नाप-ज एखदा रकम रखा जीवाला || किग्रा लागभित्रत्रियाया गाना ब तियाभ्याला गतिवतियाश्या चणा लागनिवतियाग्या । एवानरइयाभि एवं जायदे जान बा मालिया । अक्षितजीवाएं कक्क सावद णिज्ञा कम्मा कति दंतकांतजी वाकताना कमवदणिका कंमाक भिगा पाएगा। तिवा जाव मिगभग साल। एवंखखगा। जीवा नबो कक्कभावदणिका कंमा कति प्रतिगांसता नरश्या क कस वैज्ञावावमा लिया गां नाग० कर्कशारो 55ः खिई वियई हवा कमजीवकर ईदा कर। कद का चार्य नासाधुन पर झा
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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