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________________ नव नाला निरखतव। ववमय अवश्यचत्राददे धान घयु य• चकत तू स्वासादिधी नवकोटी नव विना | ही १ हणावश्न ही | क्षसा मकृष्णयविसिय विष ग्रहण खायासावाशा धधवाव यापक निक्षा रूप स्प चारित्रिया कुश निरक यक्तख दिवाली कटु वो बई। ववगयमाना वन्न गवि रती सोनलवा व्यवगतमा ला चंदनानुविलेपने॥ आहाराकट्य कविता पहार केह दिश्राहारगुलजा न कीज इस कल्प मादिसियम्माम मुदालियन लायन (आईप॥ गाणं निघावा २ निकले यनच्या मंत्र वयमालाना शिलवाणाविश्यवाददजीव विप्प ऊढं । कयमकारियमक x* ११ णियम यम मए दिन वा काडीपरिसदं । दमदास विष्पमु गात अथवा सुपरिहं वा विंगाले । वीतिभ्रममायण दास विष्णुमुरवश्चाश्रयमं प्रेषयं ये दिकजी वाहन दिलंयंत्र साडिएका गवाएं लवयं संमज्ञायामायावतियां संजम व्याचितः श्रायुन हामी लाख या बिल विपणन्नूपणं ॥ श्रादारमादारिति । एस गो चत्राह० परित्यर दर्शनही ३ एवं सच्चातयस्मसन्चय रिणा मिथम्मावा यामाहा पो(सर्वसात शशाम जीवसे सर्वजनि पर्वतानामाशणलीत सद्या मित्रपदि । सहज वदि। महमात्र दिपचरकाय मितिवदमासखपचरक : एतावता कट्व दश्नही ६ की नजवति। नडपञ्चरका यशवति। सबपण दिवस इसान पिचर काय मितिवदमाणसांमजाव विपाटंज वविप्रमुक्ताश्राश्र की एतान राजमोद यस परकायलय तिसिय पच्चरकाल व ति । (साक हा नोत गये छ। सहारण हिंडावस नदी दिनाव सिञ्चरका सवति । जम्मा सदा दिवस सात्र दिपचर काय मितिमा - दायक मान से किना दिक दोषदस बैंक का शुशित करीति४ि॥ ३ ॥ सरसर • शन कर 500 च बच बं० च बच बाट न करता व उपशाच स्वयं न काध उम उत्पादनविविनं नितिन खारखा वै जन० चा कटनी घूरी जिमचोपडिय वा लेपन • जिम इषधलगाडिया लि उ मकारियं० ३मः यानि एष पिंडविनाविहाराला तारखा तहगत वलवीदास लगड व इम माधुराम राहत आहार ली 56 41 3 देशो ने राया नकरा ताहारप्रनावाएव हा ० समानमाश - १३२॥ ० यस
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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