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________________ विषश्न ताज) तः॥ प काल साधा चादीनायादे सख्यालयात चदशामा कार लोक आधार निताई ईत्यादि अनंता निहारा यः पुरुषादी ताया। उत्पतानि इत्यादि यत्र निप्रायः यदिना मासे ख्याता ला कः तदा कथं न वचाणि वित्र होत अल्प तू आधारस्पद चालू वास्त लगाम लगता बंस भाषण लगभग समान अलगदानं नमहावीरस्ता र सामांतविद्या एवं दासि सिल से खाकाला तारातिदि समयादिकालन मिना प्रादन तो या उष्ण किंवा उपऊं तिथा । उपण हिसां तिदा। चिगहिंवा दिगतिवादिस्मितिया नाकारितारा सिंदिया उप किंवा देता साखाकालाप तारातिं दिया तावदास सिवि पासरया । रिमादाणि सासरवा परिखाडोदा शमिम शे से खित्रेल वॅर विदितं हि मुगाकार ॥ अव निति सिमामये सिला गं मिश्रामादाय मिश्रण वद सिप रित्त्रं (संपरिखड ति । देहा) ि विविसिमसारखनं सिंग णिं दिसाले सिआदप लिये कसं वियंसि । मशवरेव श्रादादि तो यः सतधाम यं मिशन इमु इंगा कार संघिये सिताजी वधण उण जिन्ना २ निलीयं तिप शिवाजी कसराकार दणाणतार निलीयेति॥सपणास विरागपपरिया एंजीव दिला कपालाक ऋ परिवृत कडाव चिगस्तितिया। संत्रण लि पाला आणादा पदापरि ग्रह. शरीराणिविसाला आदप लिये कसे विमाशव पकाश्री परीत सीम विगच्छतिवा. नए तस्पा कारण संस्थि ॥ घ० धना वापस दरुपात अस व्यय प्रादश पिंडरू पचात व जीव घना जीवाला उप जिला • निणिकारिणी नेता जाव पना ऊपजा नशा स्पशायर विकार पिलो कवेत तसदी पर जावनी उत्पत्ति इंजन विगम विगत परिणामपरिलन कद वाला • विशसति प्रधान कए स्वरुपात आदितिः जीवि 195 ला दिकेश उपजिति। परिणमति निश्रयकर राय तारा दिवा परिवारा ये दिया। इ हांयत्रनिप्राय जा होगा वनभूर्व केन सममन जिनमा ११८ ननवतां संबंधिन झोन विश्राम रुषाणांमध
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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