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त्यानातर
गाउयक्त
महामतिद: लावग्राह ततः तस्यायुः तिघा एक क्षात्र के बाद सा दोस्कान यत्पुहल स्नायुः ॥ एवं प्रवगाहनायुना व कानायु या नवरे वगाहनानियत् परिमाणात्रा व गाहि
नगती यामाखश्नागे पश्रमे (खेड पादासागा गंधर सफामसुम परिणयवादपशि थापा सिंऊंचेदमं विद्वाण तावतरं पिता पियो। मद्दरिणयम्माण तापाला देव० न्यूड तरेका॥गा। समय। गद्यामाख शंका असदपरिया समाणलात पालम अंतर के लतदनु काल (कव विशेदाशगा। अपगं समयं गक्कांच्या वलिया खऊ तिला पयस्माणलातदेव रमाणाभ्यस्तखत भागात गालग॥ गाउयस्ता लावगणास्तकारकाव शससा दिया। सधाचा खत्र गादगणाश्रमाखऊशु।' युक् देव ||30|श्रमख गाउ' श्रमखयाए (स्वा प्रतिपत लगायंच पद खानसामा अखण
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सपरियदाग्दा पारंता अपरियदा। [गा। रश्या सारसा सपरिग्न हा नागरं पशि पुले असणापरिग्रहा । ।गा। नरश्या। एंड विकासमा रले भिजावत सका यसमा तेरिति सिरीराप रिडा दियाल वं ति कम्मोपरिनदियां सती सविता विनमीसया इंद्रवाई परिग्रहि नइ पुजलला दिलाइ अतल कीलर देइते अवगाहना वितिनकालना लादि नावात का तर देइते नावस्ति न इपत लोभी दमित्र कि तिझा जाते मला नेसार जिपको मिवुलतिलोकालने देत पुवियूर = एस तिव
दिश्रमंत
द्वादशादितस्परपाकात्रा.
वस्ठानंतरूपं चायुदात्राव कालचा दि
नायायाका नेद
वावगाहनावि
साय नेत्र म
दावा सावं किसारंशा
तदय