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________________ लगवतास एजा लिया गया । तारिमिया पचादि विज्ञाय नियम पाया तंगडा मार विंदस्मादवशमा तिर्थयाचा मायामा माता सम्म दविंदस्मादवगमादिद्यादविदिना शालिसमा गया सतावत्राष्ट विमाकादशिंदादवरायादिवाद विदिजावलि समा गयंत जाणामाता व सकमनादविदस्माद दशमादिद्यादविहिंडावा लिन माग थंडा एताव प्राष्ट विसाकाद (वादावादवराय दिवादविदिनावालिसमा गये। एवं खा प्रतिज्ञाशमादामा काष्णामवंतांता नमर 55 उदेपुरो या खागायमा।। श्रखर कुमारादिवादंग सर्वांत त्रि। भावमागमाचा अश तांका लगा पाणराय [गिदिनाम नगारादाच्चा (जावपरिसाप डिगयतका लिजावयांतवासी मंडियशन्नणाम लगा गतिज्ञ जावयासमा एवं ददासि । कतिगेलात कि शिया उपन्ना मंडिया किरिया पत्रात काश्याच दिगराया पा] सिया। पारियाद पियापाएगा शिवाय किरिया कोइया पांलांत किरिया कति विज्ञापनता मंडियनाऽविपन्नता तो एवश्य काय किरिया 11 काईया • इतिकायः शरीरं तत्र वतन वा निर्वृता कार्यकारणी या विक्रियात नर का दिन श्रात्मानन तिच्यधिकरणंष्प नावषः बाह्यं वा वस्तुच खई का दि। तत्र नावात वा ॥ चतुवरयन पर विरतः त स्प कि १ अनुपय क्रियाश्यं वरतस्प जवा॥11॥
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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