________________
जाहियप्पा
दि
पंच ले साचादि वा काय उ जघन्य स्थिति कः तिर्यसनक्रमारे समुविसु धन्य स्ठि विमामध्यति
गामकरण शिंगारा जाता
वा सायंसयिंविदियतिशिकाना पोताऊन विपसांकमा रगादाववतियशसामा रिमा दीयांनवा दस एकदम मात्र या । ला लिया। जहा सा दाम व माणस एव मऊमा र हितिसावदंवा एडा। जाहियंत्रणा अक्षम कालनिव शिशादिति विंगम या तिला काय वा ससंदेशज दिमणुास्त दिवान alमस्साए जादव ०११वक्रमा शदीनवत गागांत देववरिगमा एदरेंसांऊमार 'हितिसावा एका मार्दिदगांदवाएं लेश्यानान्पतेर नांतकात १३३ ॐ ति ऊदास कुमारगदि॥ वाjaaau] | तदामा (हिंद दवा दिलागि स्पायरियानो-चा यथा। एवमादिदर्गादिवाएं द्वितिसातिरगांना पियवा । सबै वगवं बेसाला गदिवाणवि तवया लेपी साहसि निवदेना लाग हितिसाव वनाएका एवंजावंस हम्मा रावरे द्विती से विदेवजाणिद्धा/लतगा यतिततत्र त्रन्य दीपांजदमा कालवितीयस्मतिरिरकाजा पियस्स तिस विंगमा अपिलस्मा कायद्दाम संघया। नवालथानप इलालागलं तप पंचादिनगा लि। महाकम हस्तमा र साञ्चन्ता रितिरिरकाड़ा लिया एग शिम॥
मरणकालका
द्यावयतोऽनन
रि ५११ मे
सति जीवः परमव ठतिशत भाग मनूएवं प लालकि