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________________ नवरंल स्पा उ तिमिगित ० ज धन्य स्थितिषु के दवे । न उत्पद्यतिशततापि तिना । स्त्रशता|२|| गवती मधाससदमा श्रोता मुनम दिया का सातवा सतमदमेव तिथं ज्ञावकारका " साइड पाई हाम काल द्वितीवजा (साचेवपद मिल्नगमनागियावा एथशैल सावं तिमिद्धिती जामाता मुद्रा म विद्यतामु। श्रण सञ्चा असा अबोधा जदा हिती। मसं तोवासाचव अदम काल दितीय सुवास साइक्रामकवचालायचा (पामाच कास का लक्षित संवधवा पसानदेव या वरंडदापण कावा [दावा तिम्पिया अक्कास खड़ावा | साखावा। जावरावा दास दाम दालभ्यदणा इंवाकालवणाशे काला दास गोदामणवादी संवा मदरसा । श्रातामु। अतमश दिया। अक्का सश्रासीतवाससः दम्माच दिशांता मुझाव दिंश दिया गवति माअकासका द्विती। एवंतयगमगंस शिसा शिश्वासासा नालियाबा।।। वासहिजहा बावी संवास सहस्ताई। अक्कासि वा वा संवा समदस्मा माचेवा हम काल हिती पण ऊदासता मुत्र अक्का सर्वश्रोता मुते । एवं जद) ย
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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