________________
|| सातरे गाई पंच धनुस या • मतिधाममलकर प्राकू कालजाबी सिधुन कन॥४॥
वसांत कवतिय काल हितिगत वा गदापदमवास मदस्महिती एखाद्यास तिपलियम शिक्षा एवं माखवा मायतिरिरक जागियस रिसाया दिल्ला तिमिगमगाया। वरं सभारागादाणा पदम वितिय संगमण्ड ऊदाए पसी तिरगाईं वधणु सन्याशंशका सतिपिगाया शंस संतोच प्रश्थगामाग > तिन्ति गाउ यास दिणा दाम पाँशका साविनिनिगा ग्यामेादव तिरिरकाजा पिया पौसा। तस्मविदकाल द्वितियतिरिस्काडा सशारागादतिखविंगमपसादाम
देवपणा अहम काल द्वितीउा ॥ पियंसरियांतिणिगमानाणियचा गवगे सातिरंगा इव धणुसयाई [क्का मदिसा तिरगांव सता सतावणा।। छक्का मकाल द्वितियजाता। तस्मशित [चव पछिल्ला तिपिगमका लागिया। वरेंस गोरागा xजम ए. सुर २ दागतिसु विदाएं) तिमिगाउयाशे का सविति पिगाया श्रवास मताचाजदिसं खावा सायंस मिणास्त हिताववश किंपऊ तासांख अपनामाखका गायमा
+ सोचे २५८