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________________ * अणु बंधना ऊप त्रयसाध्व कालस्पन भवातू गलत कवतिकाल हिसका दाम दस वाम महम दिला Tiranaण पश्विम श्रसाखऊतिमा गद्वितीय व तालातडी वा एग समणका साथसितानि वाम संतेचे वाणवर मात तावमा पाएदाक्षय जहामा श्र नं॥] स्वाम्पत स्थितिक चातू । दीघ कविता मुतमितजीवा के वतियां शवसा पगाश्रमा श्रनर्दितस्य द्विविधा वसा पापं तात किंपमाणसा लात दाग काल द्वितीययकता अस्सं सिंप वादाम | दादग्रक्षण] (काला दामणं दस । कारण पश्विमाखतिला गां श्राताम्रा जनशदि तियेकाला संजायकारका ऊदा काल द्वितीयकता अस्मणियं विदियति शिरकाजा णिण्णांतातोऊन विपक्ष एका लहिती पसुरणाला पुढ सिलात कवतिकाल द्वितीयाका ब्रदस वा ससदम्स द्वितीय आकासिणविंदरावाससम्म द्विती लास वाणसामानामनिपिता ने संभवत विदिश्यदाज्ञाकारका गान वैधवस्थितिसमे वाममदमाता मुतैश दिया नव विवाकात। ४१०
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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