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________________ (3) वादिदर तुप जत्र Mylala निजदाजाश् विनिहतिकारका एक त्राश्रयनिष तान नश्वरूपानु स्विकायादर्श की, जीवन स्टार्स को वादित विधमापणिमाध) घणा जीवन दिवासंभव श्रयविषत्रिशतिश कारण शत जिद कही। नघारुपायी आपसी वो जीवनादिश। जीवना प्रदेश तिस्थानइत्रिणाश्व सजा समाजात इंसिया कतिशिदणं ज्ञात आगास पांग विदागा संपात्राताला यागास कायादिविष कारण धिम्याला यागासला यागासलात किंडीबाजीवादमा जीवपादसा जीवाजीवादसा धिनयमेव युक्तं य कृपाधी सेवादि उपादसा । [गा। जीवा गिजीवादसा विजीवादसादिजीवाजीवादसाच जीव पादसा जिजीया विष्णुविवा नियमा। ए गिं दिया।ब। तं दिया। चरिं दिया। पंचिंदिया एिं दिया। जंजीवादमा तिनिया जहवार धम्म) मोदियादसा | जावागिदियादसा जा जीवपादसात नियमा। एगि दियणदमाजावत्र रहक कहीं इ सिंदियपादसा जीवातऽविदाप पत्रातं । रुवीय अरुवीय जरुaina अनशन ना हाती धा| वेधादसा। खधपादसा पर माए (पागला जयवीति पंचविदा पसंदा। निनाप्रादशान धम्मचिका यनाधम्म विकापस्तादासम्म विकायस्मादसा। अधम्मम विकर्याना अधम्मधिक पतला लीजि यस्मादाम धम्म विकायस्तपादसा । श्रद्दा समाया आला या कामात किंवा उद्या । तदिदेश ॥ नश्नधापति नाजीवादावानाजीवादसा जीवदादासा अग स्थल ऊप अगगत दिवगरुल हनदशनी याएदिये जातमागास तसा धम्मविकासाताकम दाल पगाला पालायाम शनीविवक्षा तनवृद्धिहा ल्पनानुत्रयुक्त जोका रा דז एकार हनवृति श्री
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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