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________________ लगती सांतवेध छ । जावनो श्रवतगसं दिया। गाथमा छढविका ईय।। असं खरूपण पावस एणपण पविसंति॥सात द्वाशना श्रद्यतमं दिया। एवंज्ञा देवशास्मतिका तिया वं दिया जाशवमा पियाजदाने रतिया सिद्धा छ।गा। सिद्दा के तिसंदिया। [नायक तिसंशिया । श्रद्यतग से दिया सिकाइ अवतर से वियादि॥ गां सिद्धा से खऊ पावसांपा संविशात्तां सिद्धा कतिसे चिया । ऊ सिघ शिवसविसंशितणं सिद्धा अवतसं दिया। सातणाव aajसंदिया विशय सिगंलात निर। तियाांक तिसंदिया अतिसंदिया taar वाक्याएर 'जाव विमें सादिया । माशतिर तियांग्रह। गमं चिया कर्तिसंविद्यामं (खजगुणा।। अक।। संचिताः संख्योन्य तिसंदिया। अमोख ऊयुग।।। एवंग गिं दिवज्ञा । जाशवमा लिया। अप्पादप गि रणा संख्याता संख्या दिया विष्णव पण् सिगंनात सिद्धा एक तिसंवियाएं। अवन्त्र गसंविद्यालयका ॥ अत्र संचिता• नमक स्त्रोका वक्त तस्ठान का नािं संविता संख्यायाराव शिमसा दिया वा गमावादा सिद्धांक तिसे विद्या वाचसंविता साखशु गुणात्रसंख्यातस्ठा चावना बोचकारांनी स्ठान काल्पचादि कथं न्यधा सिधाः कति संचितास्कान कब चेपित्रो का अव्यक्ता कान संख्या नक स्पय कात्र पिसंख्या नारा दिनाक बलिन सल्पानां यः समाप्रः इथंच लोक स्वभावातू वान शतक ४६०
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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