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________________ ॥ वाच नांतरा निश्रा एच पृष्टिवीच पव युविषयवान देश कत्रयदाता म। जीवनउ प्रयोग मनः प्रष्टतिन वुलन उन्त्रात्मत्र भवाज्ञका । मातशत्र कति विदे। व्यापारात शोज क यागतपरंपरावाने ति दवा विषबंधास जावावमा लियाना maणिकमा बबंधस्पृष्टा नाव Parasharmaणता तेजी nad मकावाकातियताएं व विंदा मन्त्ररसममात्र कातिय अदमसाइ नरंतर सामादियाच्चा । समता जाव तर विभागाई सिपारापुटा रामामादास शाऊल दिघवातंत्राता घायल प |agara वान का तिथता Jaa (haviraaaaa | ज्ञाद माता गोलात बांधाद्यागातिशिदबावात जीवाण या सातकति विदेशी एवं देवा एवं नातक म्मम्म कतिशिदीप गाति व प्रयोग बंधू ॥ सणं० नाना वरण घोदय २०२४नेर तिया सोनाणा ३२ मऊम्म माम्सकति विदेवे । एवंज्ञाशनमा रबंध पहिलइस दम्प ज्ञानावरणादिजातरा तय a२णि कादयस्तोत कम्मरसम कति शिदनात कमलन दय रूप स्प कमउदगातिशिवाय पाच पान तियागशिपवंद्रा दावमा पिया एां । एवंावत राति उदय परंप राबध यत्राध ज्ञानादिवरामवदनात कति। विदेवाधाव सुरकुमाराला चिदमा कति विदेदाध ज ४६२ ला किंचिज्ञाना दियावरिकतय) वयान किंचित 'बंधानतर य कम्मू इत्यधः स्वभावापेोयस्प कर्मणः ततून प्राज्ञानावरणादिक महि क्षयाति विघवाज्ञा श्रादान एव तदेयेन विभाषितं कधि वा ज्ञानावर योदाया यतू वध्यतविज्ञानवान ज्ञानावर योदय एव तस्य मावरणीयतयाउदा तीयादिसमय विष प्रवशिन परं पर ।। धापा
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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