SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1012
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ || जी- वो दिगो उत्पद्यमानः जिस का तत्व्यतिरिक्त व्यश्वक छंचि तू जीवोऽन शरीर साहत अदा एक नारिग्रह करोति। शरारा चिदिकानि तिवान इत्यादि 10.dalo लगती सुरक्रमाशतजाशवमा नियात्रादर्शण जागतिक साल सावकासासा म्म दिविदंसणं निणिनादियताaविनंगना आहार सपारा लिया सारा जग सागारादायागराजयादानं तदमगारांसाचात साता परिणामति । देता गायमपाणातिया पावसाचा या परिए मंति हिंता गाथमा शिवा पावसाद्दातण वायायरिमंतीवेगोलाग शेवकममा कतिवनेक तिगोपवे ऊदा वारसमस aमुद्दे सजावक माशांना कंम वितविलापरिणय ॥सर्वज्ञातश्नावविरतिशण शेकति शिलात दिनच॥गा। पंचशिदक्षिणा । वचसा एवंविति मियका लण्यानी 3ई दिया हम निश्वासामाना गियावा/ जापन/सनातनिगरागायामा जय शिवता यांच विहरति /२०/ परमापपाताल लोक तिवन्ने कि तिगोधक विशर्मा कतिफा (सगाए ये तथाविधयक गवाना एगगांधी एम रामा फास इतिगान्न। मियका लए। सियनी लए। सियाला दिए। सिया प्रदेशावगाहादिकार लावा स्पा कालविप्रवेत्राघ्यं निप्रादावगा हा दिना कारण नाजादिन विवक्षितंत्रात नीलकाच इति व्यपदिशति द्वितीयः काल का दित्फ कवि कीलकइति एवं नृतीय ॥ ११॥ अपेक्ष एकचेन वि चाहने शर्तिस्थातूनी एक ४०
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy