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________________ वी इतिचे व नातूवि कवई यानिव या जिवान्यपिनप्रकारावर धम्म जियकः । सामान्पुनो विशेषता वाचा शाशन सार्वविधमस्त्रि कायस्पानिवचनानि त। प्रधाम्म तिवा。 धम्मेनि लक्षण विपरीत फलानां सिडिप विचारति विगतकारी वा प्राणव प्रागाच्या तिवा。त्री मर्यादियानि विधिन वासवाः कात स्वस्थ नावल-तोतय - लगवतीतिया शिया समितीशिवा लामामापणास आदाण लंड मानिएक चार पासवणाखला वरण तयाविचरंति सिंघा परिद्वावलियां'समितीतिया मणाग्रतीतिवावती तिथा। काययतीतिवा। ज्यादातु अंबारी सामविकासमं विमतिकायां लाता रतिया बराश्वमाता नातू रपास'पारिहाणियां अस्तमिती |कायत्री तिवा जयादानता ॥ यागास विकास जनसाम्यात बलियणापत्रात धम्म विद्या अधम्म शिकायतवाणातिशयानावभिबादेस जलत परा बुदा एमाल्लतिया (रिया असा मिती तिला जावा बरसो• तिथा मातीत ती तिवा पगारासाद्यात अधम्म विकासमा विद्य लूंतू रूपोरसोय लिपि आगसता आगास शिकायत ॥ वा । गगण दिया। नाल दिवा समितिवादिसमे स्वरस | ब तिया। खाँदतिया । विदेशिय तिया। दिवार विद्याओं बार तिवान राम तिवादिडितिया। कुमार •बाद स्पातिया मोतिया। हम दतिया। अद्वितिया । दियो तिया। आभार तथा वा मग साथ तया होवि सिरसिरक तिया । समितिया ॐ वासं तार था। आगाम तिवा फिलिदितिया। ग्रगति तिवाडयावाण हाय४४ तत शोषस्पदाना स्वस्पद : नावातू विषाद प्राद्यात गम्यते जायते वानिकम्माननेन तिची ब्रहोवा दियटे● स एव विशिष्टोव्यादयदे इति विदायः धव नूषिरं ॥ मति मोहति धरती चाधाराधारात वामेति विषणावचनातूबो मायाति नाज नातूविश्वस्याश्र वेही यात का पंजात जेरुपत्रातूमा तू नाजनं तखेनादत्रनियस्पनर सामेति परवाने क्या बात का नाम प्रति विध श्री विश्वहिनि म पिंकाशन की थोरे बन स्फटिक स्पर 5. वह विहितवा स्त्रिचातू बिरु । शेषेण ता तदाकाश॥ गगरी तिवा०प्रतिशयग मन विषयच्चानुगम नमनजेतिः न तोब तिनदाष्यात त अशा सामति· निः तानावा न सम चालू विषम देखि विसमेति दुर्गम खहेन लावाहन न्याय व तित •
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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